शनिवार, 20 अगस्त 2022

श्री विष्णु जी की आरतीॐ जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे| भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे||ॐ जय जगदीश हरे||जो ध्यावै फल पावै, दु:ख बिनसै मनका|सुख सम्पत्ति घर आवै, कष्ट मिटै तनका||ॐ जय जगदीश हरे||मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी|तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी||ॐ जय जगदीश हरे||तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी|पार ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी||ॐ जय जगदीश हरे||तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता|मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता||ॐ जय जगदीश हरे||तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति|किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमती||ॐ जय जगदीश हरे||दीनबन्धु, दु:खहर्ता तुम ठाकुर मेरे|अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा (मैं) तेरे||ॐ जय जगदीश हरे||विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा|श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा||ॐ जय जगदीश हरे||ॐ जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे|भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे||ॐ जय जगदीश हरे||

श्री विष्णु जी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे|
भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे||
ॐ जय जगदीश हरे||

जो ध्यावै फल पावै, दु:ख बिनसै मनका|
सुख सम्पत्ति घर आवै, कष्ट मिटै तनका||
ॐ जय जगदीश हरे||

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी|
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी||
ॐ जय जगदीश हरे||

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी|
पार ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी||
ॐ जय जगदीश हरे||

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता|
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता||
ॐ जय जगदीश हरे||

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति|
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमती||
ॐ जय जगदीश हरे||

दीनबन्धु, दु:खहर्ता तुम ठाकुर मेरे|
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा (मैं) तेरे||
ॐ जय जगदीश हरे||

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा|
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा||
ॐ जय जगदीश हरे||

ॐ जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे|
भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे||
ॐ जय जगदीश हरे||

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आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक||जाके बल से गिरवर काँपे|रोग दोष जाके निकट ना झाँके||अंजनि पुत्र महा बलदाई|संतन के प्रभु सदा सहाई||दे बीरा रघुनाथ पठाये|लंका जारि सिया सुधि लाये||लंका सो कोट समुद्र सी खाई|जात पवनसुत बार न लाई||लंका जारि असुर संहारे|सियाराम जी के काज सँवारे||लक्ष्मण मुर्छित पडे़ सकारे|आनि संजीवन प्राण उबारे||पैठि पाताल तोरि जम कारे|अहिरावन की भुजा उखारे||बायें भुजा असुर दल मारे|दहिने भुजा सब संत जन उबारे||सुर नर मुनि (जन) आरती उतारे|जै जै जै हनुमान उचारे||कचंन थार कपूर लौ छाई|आरती करत अंजना माई||जो हनुमान जी की आरती गावैं|बसि बैकुंठ परम पद पावैं||लंक विध्वंस किये रघुराई|तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई||आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||

आरती कीजै हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक|| जाके बल से गिरवर काँपे| रोग दोष जाके निकट ना झाँके|| अंजनि पुत्र महा बलदाई| संतन के ...