शनिवार, 20 अगस्त 2022

श्री शिव जी की आरतीॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा|ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा||ॐ जय शिव ओंकारा...एकानन चतुरानन पंचानन राजे|हंसासन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे||ॐ जय शिव ओंकारा......दो भुज चार चतुर्भज दस भुज अति सोहे|तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहे||ॐ जय शिव ओंकारा......अक्षमाला, वनमाला, मुण्डमाला धारी|चंदन मृदमद सोहे, भोले त्रिपुरारी||ॐ जय शिव ओंकारा......श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे|सनकादिक, ब्रह्मादिक, भूतादिक संगे|ॐ जय शिव ओंकारा......कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता|सुखकर्ता, दुखः हर्ता, जगपालन करता||ॐ जय शिव ओंकारा......ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका|प्रणवाक्षर के मध्ये तीनो ही एका||ॐ जय शिव ओंकारा......त्रिगुण स्वामी जी की आरती जो कोई नर गावे|कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे||ॐ जय शिव ओंकारा.....#Vnita ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा|ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा||ॐ जय शिव ओंकारा...

श्री शिव जी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा|
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा||
ॐ जय शिव ओंकारा...

एकानन चतुरानन पंचानन राजे|
हंसासन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे||
ॐ जय शिव ओंकारा......

दो भुज चार चतुर्भज दस भुज अति सोहे|
तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहे||
ॐ जय शिव ओंकारा......

अक्षमाला, वनमाला, मुण्डमाला धारी|
चंदन मृदमद सोहे, भोले त्रिपुरारी||
ॐ जय शिव ओंकारा......

श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे|
सनकादिक, ब्रह्मादिक, भूतादिक संगे|
ॐ जय शिव ओंकारा......

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता|
सुखकर्ता, दुखः हर्ता, जगपालन करता||
ॐ जय शिव ओंकारा......

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका|
प्रणवाक्षर के मध्ये तीनो ही एका||
ॐ जय शिव ओंकारा......

त्रिगुण स्वामी जी की आरती जो कोई नर गावे|
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे||
ॐ जय शिव ओंकारा.....
#Vnita
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा|
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा||
ॐ जय शिव ओंकारा...

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आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक||जाके बल से गिरवर काँपे|रोग दोष जाके निकट ना झाँके||अंजनि पुत्र महा बलदाई|संतन के प्रभु सदा सहाई||दे बीरा रघुनाथ पठाये|लंका जारि सिया सुधि लाये||लंका सो कोट समुद्र सी खाई|जात पवनसुत बार न लाई||लंका जारि असुर संहारे|सियाराम जी के काज सँवारे||लक्ष्मण मुर्छित पडे़ सकारे|आनि संजीवन प्राण उबारे||पैठि पाताल तोरि जम कारे|अहिरावन की भुजा उखारे||बायें भुजा असुर दल मारे|दहिने भुजा सब संत जन उबारे||सुर नर मुनि (जन) आरती उतारे|जै जै जै हनुमान उचारे||कचंन थार कपूर लौ छाई|आरती करत अंजना माई||जो हनुमान जी की आरती गावैं|बसि बैकुंठ परम पद पावैं||लंक विध्वंस किये रघुराई|तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई||आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||

आरती कीजै हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक|| जाके बल से गिरवर काँपे| रोग दोष जाके निकट ना झाँके|| अंजनि पुत्र महा बलदाई| संतन के ...