शनिवार, 20 अगस्त 2022

श्री सत्यनारायण जी की आरतीॐ जय लक्ष्मीरमणा, स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा||टेक||रत्नजटित सिंहासन, अद्भुत छवि राजै|नारद करत निराजन घंटा ध्वनी बाजै||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी....प्रकट भयें कलिकारण, द्विज को दरस दियो|बूढों ब्राह्मण बनके, कंचन महल कियो||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी|च्रंदचूड़ एक राजा, तिनकी बिपति हरी||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दिन्हीं|सो फल भोग्यो प्रभूजी, फेर अस्तुति किन्हीं||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रुप धरयो|श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....ग्वाल बाल संग राजा, वन में भक्ति करी|मनवांचित फल दिन्हों, दीन दयालु हरि||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा|धूप दीप तुलसी से, राजी सत्य देवा||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे|तन-मन-सुख-संपत्ति, मन-वांछित फल पावै||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....By वनिता कासनियां पंजाब चॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा||

श्री सत्यनारायण जी की आरती
ॐ जय लक्ष्मीरमणा, स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा||टेक||

रत्नजटित सिंहासन, अद्भुत छवि राजै|
नारद करत निराजन घंटा ध्वनी बाजै||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी....

प्रकट भयें कलिकारण, द्विज को दरस दियो|
बूढों ब्राह्मण बनके, कंचन महल कियो||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....

दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी|
च्रंदचूड़ एक राजा, तिनकी बिपति हरी||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दिन्हीं|
सो फल भोग्यो प्रभूजी, फेर अस्तुति किन्हीं||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....

भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रुप धरयो|
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....

ग्वाल बाल संग राजा, वन में भक्ति करी|
मनवांचित फल दिन्हों, दीन दयालु हरि||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....

चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा|
धूप दीप तुलसी से, राजी सत्य देवा||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....

सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे|
तन-मन-सुख-संपत्ति, मन-वांछित फल पावै||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....


ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा||

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आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक||जाके बल से गिरवर काँपे|रोग दोष जाके निकट ना झाँके||अंजनि पुत्र महा बलदाई|संतन के प्रभु सदा सहाई||दे बीरा रघुनाथ पठाये|लंका जारि सिया सुधि लाये||लंका सो कोट समुद्र सी खाई|जात पवनसुत बार न लाई||लंका जारि असुर संहारे|सियाराम जी के काज सँवारे||लक्ष्मण मुर्छित पडे़ सकारे|आनि संजीवन प्राण उबारे||पैठि पाताल तोरि जम कारे|अहिरावन की भुजा उखारे||बायें भुजा असुर दल मारे|दहिने भुजा सब संत जन उबारे||सुर नर मुनि (जन) आरती उतारे|जै जै जै हनुमान उचारे||कचंन थार कपूर लौ छाई|आरती करत अंजना माई||जो हनुमान जी की आरती गावैं|बसि बैकुंठ परम पद पावैं||लंक विध्वंस किये रघुराई|तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई||आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||

आरती कीजै हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक|| जाके बल से गिरवर काँपे| रोग दोष जाके निकट ना झाँके|| अंजनि पुत्र महा बलदाई| संतन के ...