शनिवार, 20 अगस्त 2022

(श्री रघुवर जी की आरती) आरती कीजै श्री रघुवर जी की|सत् चित आनन्द शिव सुन्दर की||टेक||दशरथ तनय कौशल्या नन्दन|सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन||आरती कीजै०||अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन|मर्यादा पुरुषोतम वर की||आरती कीजै०||निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि|सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि||आरती कीजै०||हरण शोक-भय दायक नव निधि|माया रहित दिव्य नर वर की||आरती कीजै०||जानकी पति सुर अधिपति जगपति|अखिल लोक पालक त्रिलोक गति||आरती कीजै०||विश्‍व वन्द्य अवन्ह अमित गति|एक मात्र गति सचराचर की||आरती कीजै०||शरणागत वत्सल व्रतधारी|भक्त कल्प तरुवर असुरारी||आरती कीजै०||नाम लेत जग पावनकारी|वानर सखा दीन दुख हर की||आरती कीजै श्री रघुवर जी की|सत् चित आनन्द शिव सुन्दर की||


                  (श्री रघुवर जी की आरती)
आरती कीजै श्री रघुवर जी की|
सत् चित आनन्द शिव सुन्दर की||टेक||

दशरथ तनय कौशल्या नन्दन|
सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन||
आरती कीजै०||

अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन|
मर्यादा पुरुषोतम वर की||
आरती कीजै०||

निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि|
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि||
आरती कीजै०||

हरण शोक-भय दायक नव निधि|
माया रहित दिव्य नर वर की||
आरती कीजै०||

जानकी पति सुर अधिपति जगपति|
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति||
आरती कीजै०||

विश्‍व वन्द्य अवन्ह अमित गति|
एक मात्र गति सचराचर की||
आरती कीजै०||

शरणागत वत्सल व्रतधारी|
भक्त कल्प तरुवर असुरारी||
आरती कीजै०||

नाम लेत जग पावनकारी|
वानर सखा दीन दुख हर की||

आरती कीजै श्री रघुवर जी की|
सत् चित आनन्द शिव सुन्दर की||

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आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक||जाके बल से गिरवर काँपे|रोग दोष जाके निकट ना झाँके||अंजनि पुत्र महा बलदाई|संतन के प्रभु सदा सहाई||दे बीरा रघुनाथ पठाये|लंका जारि सिया सुधि लाये||लंका सो कोट समुद्र सी खाई|जात पवनसुत बार न लाई||लंका जारि असुर संहारे|सियाराम जी के काज सँवारे||लक्ष्मण मुर्छित पडे़ सकारे|आनि संजीवन प्राण उबारे||पैठि पाताल तोरि जम कारे|अहिरावन की भुजा उखारे||बायें भुजा असुर दल मारे|दहिने भुजा सब संत जन उबारे||सुर नर मुनि (जन) आरती उतारे|जै जै जै हनुमान उचारे||कचंन थार कपूर लौ छाई|आरती करत अंजना माई||जो हनुमान जी की आरती गावैं|बसि बैकुंठ परम पद पावैं||लंक विध्वंस किये रघुराई|तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई||आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||

आरती कीजै हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक|| जाके बल से गिरवर काँपे| रोग दोष जाके निकट ना झाँके|| अंजनि पुत्र महा बलदाई| संतन के ...