शनिवार, 20 अगस्त 2022

श्री कृष्ण जी की आरती ॐ जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय श्री कृष्ण हरे|भक्तन के दुख सारे पल में दूर करे||जय जय श्री कृष्ण हरे....परमानन्द मुरारी मोहन गिरधारी|जय रस रास बिहारी जय जय गिरधारी||जय जय श्री कृष्ण हरे....कर कंकन कटि सोहत कानन में बाला|मोर मुकुट पीताम्बर सोहे बनमाला||जय जय श्री कृष्ण हरे....दीन सुदामा तारे दरिद्रों के दुख टारे|गज के फ़ंद छुड़ाए भव सागर तारे||जय जय श्री कृष्ण हरे....हिरण्यकश्यप संहारे नरहरि रुप धरे|पाहन से प्रभु प्रगटे जम के बीच परे||जय जय श्री कृष्ण हरे....केशी कंस विदारे नल कूबर तारे|दामोदर छवि सुन्दर भगतन के प्यारे||जय जय श्री कृष्ण हरे....काली नाग नथैया नटवर छवि सोहे|फन-फन नाचा करते नागन मन मोहे||जय जय श्री कृष्ण हरे....उग्रसेन राज्य पाये माता शोक हरे|द्रुपद सुता पत राखी करुणा लाज भरे||जय जय श्री कृष्ण हरे....ॐ जय श्री कृष्ण हरे|

श्री कृष्ण जी की आरती  ॐ जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय श्री कृष्ण हरे|

भक्तन के दुख सारे पल में दूर करे||
जय जय श्री कृष्ण हरे....

परमानन्द मुरारी मोहन गिरधारी|
जय रस रास बिहारी जय जय गिरधारी||
जय जय श्री कृष्ण हरे....

कर कंकन कटि सोहत कानन में बाला|
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे बनमाला||
जय जय श्री कृष्ण हरे....

दीन सुदामा तारे दरिद्रों के दुख टारे|
गज के फ़ंद छुड़ाए भव सागर तारे||
जय जय श्री कृष्ण हरे....

हिरण्यकश्यप संहारे नरहरि रुप धरे|
पाहन से प्रभु प्रगटे जम के बीच परे||
जय जय श्री कृष्ण हरे....

केशी कंस विदारे नल कूबर तारे|
दामोदर छवि सुन्दर भगतन के प्यारे||
जय जय श्री कृष्ण हरे....

काली नाग नथैया नटवर छवि सोहे|
फन-फन नाचा करते नागन मन मोहे||
जय जय श्री कृष्ण हरे....

उग्रसेन राज्य पाये माता शोक हरे|
द्रुपद सुता पत राखी करुणा लाज भरे||
जय जय श्री कृष्ण हरे....

ॐ जय श्री कृष्ण हरे|

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आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक||जाके बल से गिरवर काँपे|रोग दोष जाके निकट ना झाँके||अंजनि पुत्र महा बलदाई|संतन के प्रभु सदा सहाई||दे बीरा रघुनाथ पठाये|लंका जारि सिया सुधि लाये||लंका सो कोट समुद्र सी खाई|जात पवनसुत बार न लाई||लंका जारि असुर संहारे|सियाराम जी के काज सँवारे||लक्ष्मण मुर्छित पडे़ सकारे|आनि संजीवन प्राण उबारे||पैठि पाताल तोरि जम कारे|अहिरावन की भुजा उखारे||बायें भुजा असुर दल मारे|दहिने भुजा सब संत जन उबारे||सुर नर मुनि (जन) आरती उतारे|जै जै जै हनुमान उचारे||कचंन थार कपूर लौ छाई|आरती करत अंजना माई||जो हनुमान जी की आरती गावैं|बसि बैकुंठ परम पद पावैं||लंक विध्वंस किये रघुराई|तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई||आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||

आरती कीजै हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक|| जाके बल से गिरवर काँपे| रोग दोष जाके निकट ना झाँके|| अंजनि पुत्र महा बलदाई| संतन के ...