सोमवार, 7 नवंबर 2022

आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक||जाके बल से गिरवर काँपे|रोग दोष जाके निकट ना झाँके||अंजनि पुत्र महा बलदाई|संतन के प्रभु सदा सहाई||दे बीरा रघुनाथ पठाये|लंका जारि सिया सुधि लाये||लंका सो कोट समुद्र सी खाई|जात पवनसुत बार न लाई||लंका जारि असुर संहारे|सियाराम जी के काज सँवारे||लक्ष्मण मुर्छित पडे़ सकारे|आनि संजीवन प्राण उबारे||पैठि पाताल तोरि जम कारे|अहिरावन की भुजा उखारे||बायें भुजा असुर दल मारे|दहिने भुजा सब संत जन उबारे||सुर नर मुनि (जन) आरती उतारे|जै जै जै हनुमान उचारे||कचंन थार कपूर लौ छाई|आरती करत अंजना माई||जो हनुमान जी की आरती गावैं|बसि बैकुंठ परम पद पावैं||लंक विध्वंस किये रघुराई|तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई||आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||

आरती कीजै हनुमान लला की|
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक||

जाके बल से गिरवर काँपे|
रोग दोष जाके निकट ना झाँके||

अंजनि पुत्र महा बलदाई|
संतन के प्रभु सदा सहाई||

दे बीरा रघुनाथ पठाये|
लंका जारि सिया सुधि लाये||

लंका सो कोट समुद्र सी खाई|
जात पवनसुत बार न लाई||

लंका जारि असुर संहारे|
सियाराम जी के काज सँवारे||

लक्ष्मण मुर्छित पडे़ सकारे|
आनि संजीवन प्राण उबारे||

पैठि पाताल तोरि जम कारे|
अहिरावन की भुजा उखारे||

बायें भुजा असुर दल मारे|
दहिने भुजा सब संत जन उबारे||

सुर नर मुनि (जन) आरती उतारे|
जै जै जै हनुमान उचारे||

कचंन थार कपूर लौ छाई|
आरती करत अंजना माई||

जो हनुमान जी की आरती गावैं|
बसि बैकुंठ परम पद पावैं||

लंक विध्वंस किये रघुराई|
तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई||

आरती कीजै हनुमान लला की|
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||


आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक||जाके बल से गिरवर काँपे|रोग दोष जाके निकट ना झाँके||अंजनि पुत्र महा बलदाई|संतन के प्रभु सदा सहाई||दे बीरा रघुनाथ पठाये|लंका जारि सिया सुधि लाये||लंका सो कोट समुद्र सी खाई|जात पवनसुत बार न लाई||लंका जारि असुर संहारे|सियाराम जी के काज सँवारे||लक्ष्मण मुर्छित पडे़ सकारे|आनि संजीवन प्राण उबारे||पैठि पाताल तोरि जम कारे|अहिरावन की भुजा उखारे||बायें भुजा असुर दल मारे|दहिने भुजा सब संत जन उबारे||सुर नर मुनि (जन) आरती उतारे|जै जै जै हनुमान उचारे||कचंन थार कपूर लौ छाई|आरती करत अंजना माई||जो हनुमान जी की आरती गावैं|बसि बैकुंठ परम पद पावैं||लंक विध्वंस किये रघुराई|तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई||आरती कीजै हनुमान लला की|दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||

आरती कीजै हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की||टेक|| जाके बल से गिरवर काँपे| रोग दोष जाके निकट ना झाँके|| अंजनि पुत्र महा बलदाई| संतन के ...